आयुर्वेद के अनुसार भोजन करने के 10 नियम

चरक संहिता से उद्धृत भोजन करने के नियम :- 
1. उष्ण आहार लें :- गर्म भोजन से जठराग्नि तेज होती है, भोजन शीघ्र पच जाता है। 
2. स्निग्ध आहार लें :- स्निग्ध भोजन शरीर का पोषण, इन्द्रियों को दृढ़ और बलवान बनाता है। 
3. मात्रा पूर्वक आहार लें :- पाचन सकती के अनुकूल उचित मात्रा में भोजन स्वास्थ्यवर्धक होता है। 
4. पचने पर अहार लें :- पहले खाया भोजन पचने के बाद ही दूसरी बार भोजन करें। 
5. अविरूद्ध वीर्य वाले आहार लें :- परस्पर विरुद्धवीर्य (गुण व शक्ति) का भोजन रोग उत्पन्न करता है। 
6. अनुकूल स्थान पर आहार लें  :- मन के अनुकूल स्थान पर मन के अनुकूल आहार लें।
7. जल्दी जल्दी आहार नहीं लें :- जल्दी जल्दी भोजन करने से लाररस भोजन में ठीक से नहीं मिलने के कारण भोजन के पाचन में विलंब होता है। 
8. बहोत धीरे-धीरे आहार नहीं लें :- धीरे-धीरे रुक रुक कर भोजन करने से तृप्ति नहीं मिलती, आहार ठंडा तथा पाक विशम हो जाता है। 
9. एकाग्रचित होकर भोजन करें, भोजन करते समय अन्य कार्य ना करें :- एकाग्रता से भोजन करने से भोजन सही से पचता है और लाभ होता है 
10. आत्म शक्ति के अनुसार आहार लें :- यह भोजन मेरे लिए हितकारी है या हानिकारक है, विचार करके अपनी सकती के अनुकूल मात्रा में लिया गया भोजन हितकारी होता है। 

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